हमारी लेडी विक्टोरियस का चर्च
प्राग के शिशु जीजस
लेडी विक्टोरियस का चर्च का निर्माण 1613 मे हुआ । इसके मध्य वेदी पर शिशु जीजस की 47 सेमी लम्बी मोम से बनी मूर्ति हैं, जिसे स्पेन से 1628 में लाया गया था । प्राग के शिशु जीजस के नाम से भी जाना जाता हैं । कहा जाता हैं कि इतने प्राग की प्लेग और 30 वर्ष के विनाषकारी युद्ध से रक्षा की थी । 18 वीं शताब्दी के एक जर्मन मठाधिकारी ,ई एस स्टेफनो ने लिखा हैं कि चमत्कारों ,सभी को ठोकर मारते हुये क्या अन्त में दुनियाभर में एक पंथ बन गया हैं, आज प्रतिमा तीर्थयात्रियों के द्वारा एक नियमित दौरा किया जाता हैं, खासकर इटली,स्पेन और लैटिन अमेरिका से। यह परम्परात किया गया कि मूर्ति को सुन्दर वस्त्रों की पोषाक पहनायी जाये और वर्षों से विभिन्न सरंक्षक बड़े पैमाने पर कढ़ाई किये हुये वस्त्र दान करते हैं । आज शिशु की अलमारी में दुनियाभर से 70 से भी ज्यादा दान की हुई वेषभूषा हैं । ये नियमित रूप से धार्मिक पंचांग के अनुसार बदली जाती हैं । चर्च के पीछे संग्रहालय हैं, जिसमें षिषु द्वारा पहनी गई पोशाकों का चयन कर दिखाया जाता हैं । गली में दुकानों पर मोम की मूर्तियों की प्रतियां बेची जाती हैं । इन सब को देखते हुए, आप दूसरी आज्ञा के बारे में सोचकर भी मदद नहीं कर सकते । (‘कोई कितने भी प्रभाव से कहे ,तो भी आप नहीं करोगे ’) और सुधार के उद्देष्य से जान हक की कब में कताई होना चाहिए ।
पता- कारमेलितस्का 9; प्रवेष-निःषुल्क
चर्च खुलने का समय- सोमवार से शनिवार ,सुबह साढ़े नौ से शाम पाँच बजे तक ।
रविवार को सुबह साढ़े आठ से शाम आठ बजे तक ।
संग्रहालय खुलने का समय- सोमवार से शनिवार ,सुबह साढ़े नौ से शाम पाँच बजे तक ।
रविवार को दोपहर 1 से शाम 6 बजे तक ।
बंद रहने के दिन- 1 जनवरी 25,26 दिसम्बर और ईस्टर सोमवार ।